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नोएडा

‘एक देश, एक चुनाव’ लोकतंत्र को देगा नई दिशा, विकास के पथ पर बढ़ेगा भारत: सुनील बंसल

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NCR संवाद:    ‘एक देश, एक चुनाव’ की अवधारणा केवल एक राजनीतिक नारा नहीं बल्कि लोकतांत्रिक सुधार की दिशा में एक निर्णायक और दूरदर्शी कदम है। यह बात रविवार को भाजपा के राष्ट्रीय महामंत्री और इस विषय के राष्ट्रीय संयोजक सुनील बंसल ने नोएडा के सेक्टर-91 स्थित पंचशील बालक इंटर कॉलेज के ऑडिटोरियम में आयोजित एक प्रबुद्ध समागम में कही। कार्यक्रम में समाज के विविध वर्गों की सक्रिय भागीदारी देखी गई, जिससे इस विमर्श को एक व्यापक जन-स्वीकृति का आधार मिला।

कार्यक्रम की अध्यक्षता डॉ. डी.के. गुप्ता (चेयरमैन, फेलिक्स हॉस्पिटल) ने की, जबकि पूर्व बार एसोसिएशन अध्यक्ष कालू राम चौधरी संयोजक की भूमिका में रहे।

बार-बार के चुनावों से देश की प्रगति में 'स्पीड ब्रेकर':  सुनील बंसल ने कहा कि बार-बार चुनाव कराए जाने से विकास योजनाएं बाधित होती हैं और शासन व्यवस्था प्रभावित होती है। उन्होंने बताया कि पिछले तीन दशकों में ऐसा कोई वर्ष नहीं गया जब किसी न किसी राज्य में चुनाव न हुआ हो। इससे न केवल वित्तीय संसाधनों की बर्बादी होती है, बल्कि सरकारी मशीनरी भी बार-बार आचार संहिता में उलझी रहती है।

एक साथ चुनाव से 4.5 लाख करोड़ तक की बचत संभव:  बंसल ने तथ्यों के साथ कहा कि 2024 के लोकसभा चुनावों पर अकेले 1.35 लाख करोड़ रुपये से अधिक खर्च हुआ। अगर यह चुनाव राज्य विधानसभाओं के साथ एकसाथ होते, तो खर्च में 30–40% तक की कमी संभव थी। उन्होंने बताया कि एक साथ चुनाव से भारत की जीडीपी में 1.5 प्रतिशत अंक तक की वृद्धि हो सकती है जो वित्त वर्ष 2023-24 में लगभग 4.5 लाख करोड़ रुपये के बराबर है।

पर्यावरण और संसाधन प्रबंधन में भी राहत:  प्रत्येक चुनाव के साथ बढ़ने वाला वायु व ध्वनि प्रदूषण, प्रचार सामग्री का अत्यधिक उपयोग और सरकारी कर्मचारियों की बार-बार ड्यूटी- ये सभी समस्याएं एक साथ चुनाव से काफी हद तक समाप्त हो सकती हैं।
उन्होंने बताया कि एक साथ चुनाव के लिए 20 लाख से अधिक ईवीएम सेट, 55 लाख चुनावकर्मी, और 25 लाख सुरक्षा बल की जरूरत होगी, लेकिन इससे देश की प्रशासनिक स्थिरता और संसाधनों का अनुकूल उपयोग सुनिश्चित होगा।

राजनीतिक एजेंडे में बदलाव और जवाबदेही बढ़ेगी: उन्होंने कहा कि जब हर पांच साल में एक बार चुनाव होंगे, तो राजनीतिक दलों को जनता के प्रति अधिक जवाबदेह होना पड़ेगा। चुनाव विकास के मुद्दों पर केंद्रित होंगे और जनकल्याण प्राथमिकता बनेगा। यह भी स्पष्ट किया कि यह कोई नया विचार नहीं है, 1952 से 1967 तक भारत में लोकसभा और विधानसभा चुनाव इसी प्रक्रिया के साथ संपन्न हुए हैं। 

इस कार्यक्रम में पूर्व केंद्रीय मंत्री एवं सांसद डॉ. महेश शर्मा, राज्यसभा सांसद सुरेन्द्र नागर, पूर्व परिवहन मंत्री एवं विधान परिषद सदस्य अशोक कटारिया, विधायक नोएडा एवं भाजपा उत्तर प्रदेश के उपाध्यक्ष पंकज सिंह, विधायक दादरी तेजपाल नागर, विधायक जेवर धीरेंद्र सिंह,  उत्तर प्रदेश सरकार में दर्जा प्राप्त राज्य मंत्री कैप्टन विकास गुप्ता, पूर्व विधायक एवं मंत्री नवाब सिंह नागर, हरीश चंद भाटी, विमला बॉथम,  भाजपा महानगर अध्यक्ष महेश चौहान, भाजपा जिला अध्यक्ष अभिषेक शर्मा मौजूद रहे। कार्यक्रम में बार एसोसिएशन के अध्यक्ष एवं पूर्व अध्यक्षगण, सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता, फोनरवा ( फेडरेशन ऑफ नोएडा रेज़िडेंट वेलफेयर एसोसिएशन), डीडीआरडब्ल्यूए, नोएडा एंप्लॉयी एसोसिएशन, भारतीय चिकित्सा संघ, फिक्की, एसोचैम, लोकमंच, इंडियन इंडस्ट्रीज एसोसिएशन सहित कई संगठनों के प्रतिनिधि मौजूद रहे।