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Earth Day: जब सूरज की रौशनी ने बदला कारोबार का मिज़ाज! उद्योगपति एसएस बांगा ने साबित किया- पर्यावरण से प्यार भी एक इन्वेस्टमेंट है

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NCR संवाद:   पृथ्वी हमारी धरोहर है और ऊर्जा हमारे भविष्य की चाभी। जब यह दोनों एक ही राह पर चलें तो एक स्वच्छ, सुंदर और सुरक्षित कल का निर्माण तय है। इस वर्ष विश्व पृथ्वी दिवस (World Earth Day) की थीम ’ हमारी ऊर्जा, हमारी धरा (Our Power, Our Planet)’ है। अगर कोई इस थीम को अपने जीवन और कार्यों से साकार करता है, तो वे हैं विक्टोरा इंडस्ट्रीज के प्रबंध निदेशक एसएस बांगा

जहां एक ओर तेजी से बढ़ते औद्योगीकरण से पेड़ों की कटाई और कार्बन उत्सर्जन जैसी समस्याएं सामने आ रही हैं, वहीं दूसरी ओर बांगा जैसे उद्योगपति यह सिद्ध कर रहे हैं कि उद्योग और पर्यावरण में सामंजस्य संभव है। वे पर्यावरण के ऐसे प्रहरी बनकर उभरे हैं, जिनकी सोच और कार्य दोनों ही हरियाली की दिशा में अग्रसर हैं।

सौर ऊर्जा से रोशन होती फैक्ट्रियां: साल 2011 में एसएस बांगा ने फरीदाबाद के सेक्टर-58 स्थित अपने प्लांट में 100 किलोवाट क्षमता वाला सौर ऊर्जा संयंत्र स्थापित कर पर्यावरण के प्रति अपनी प्रतिबद्धता की शुरुआत की। धीरे-धीरे यह क्षमता 213 किलोवाट तक पहुंची, और फिर अन्य प्लांटों में भी सौर पैनल लगाए गए। हरियाणा, गुजरात और महाराष्ट्र के विभिन्न स्थानों पर अब उनके संयंत्रों में कुल 2843 किलोवाट सौर ऊर्जा उत्पादन की क्षमता है।

इससे प्रतिवर्ष 39.8 लाख यूनिट बिजली उत्पन्न होती है, वह भी बिना एक कण कोयला जलाए। यही नहीं, इस हरित प्रयास से बांगा ने सालाना लगभग 7000 पेड़ों के बराबर कार्बन उत्सर्जन को रोका है, और उनका लक्ष्य 25 वर्षों में 10 करोड़ यूनिट सोलर बिजली उत्पन्न करने का है, जो कि 1.65 लाख पेड़ों के बराबर कार्बन सोखने जैसा है।

पेड़ों से भी विशेष लगाव:  सिर्फ बिजली नहीं, एसएस बांगा ने औद्योगिक क्षेत्रों में 40,000 से अधिक पौधे भी लगवाए हैं, जो अब छायादार वृक्ष बन चुके हैं। ये पेड़ न केवल ऑक्सीजन का भंडार हैं, बल्कि प्रदूषण को कम करने में भी सहायक हैं। बांगा का मानना है कि जितना संभव हो, उतना पर्यावरण को वापस दिया जाए और यही सोच उनके हर कदम में झलकती है।

ऊर्जा और उद्यमिता का हरित संगम:  एसएस बांगा ने सौर ऊर्जा को सिर्फ तकनीक के रूप में नहीं, बल्कि एक जिम्मेदारी के रूप में अपनाया। उनके अनुसार, ‘धरा तभी खूबसूरत होगी जब हम उसकी रक्षा करेंगे। अगर आज हमने सौर ऊर्जा जैसे विकल्प नहीं अपनाए, तो कल शायद ऊर्जा होगी, लेकिन धरती नहीं।‘

उनके कारखानों की छतें आज बिजली के तारों से नहीं, बल्कि सोलर पैनलों से जगमगाती हैं, जो आने वाली पीढ़ियों के लिए एक उदाहरण प्रस्तुत करती हैं।

पृथ्वी दिवस पर प्रेरणा इस पृथ्वी दिवस पर जब हम ‘हमारी ऊर्जा, हमारी धरा’ की बात करते हैं, तो एसएस बांगा जैसे लोग ही इस विचार को मूर्त रूप देने वाले असली नायक हैं। वे साबित करते हैं कि एक व्यक्ति, एक उद्यम और एक सोच मिलकर पूरे पर्यावरण की दिशा बदल सकते हैं।

एसएस बांगा सिर्फ एक उद्योगपति नहीं, पर्यावरण के प्रहरी हैं, जो हर दिन अपने कार्यों से इस धरती को बचाने में जुटे हैं। उनकी तरह हर उद्योग अगर हरियाली की राह अपनाए, तो हमारी धरा फिर से मुस्कुरा उठेगी।