घर और कार खरीदने के लिए लोन की सुविधा तो औद्योगिक भूखंड के लिए क्यों नहीं…

उत्तर प्रदेश उद्यमी विकास संघ के कार्यकारिणी सदस्य संजीव सचदेव ने बैंक नीतियों को सरल बनाने का दिया सुझाव

एनसीआर संवाद
गाजियाबाद, 23 अक्टूबर। राष्ट्रीय राजधानी के नजदीक उत्तर प्रदेश के औद्योगिक शहरों में जमीन के दाम आसमान छू रहे हैं। नया उद्योग लगाने के लिए बाजार मूल्य पर भूखंड खरीदना पड़ता है। भूखंड खरीदने में उद्यमी की लगभग सभी जमा पूंजी खत्म हो जाती है। ऐसी स्थिति में उद्योग लगाना मुश्किल हो जाता है। ऐसे में सवाल उठता है कि जब घर बनाने के लिए होम लोन, वाहन खरीदने के लिए कार लोन की सुविधा उपलब्ध है तो औद्योगिक भूखंड खरीदने के लिए लोन क्यों नहीं मिलता। उत्तर प्रदेश उद्यमी विकास संघ के कार्यकारिणी सदस्य संजीव सचदेव ने इस मामले को उत्तर प्रदेश के एमएसएमई विभाग के प्रमुख सचिव के समक्ष भी उठाया है। साथ ही, औद्योगिक विकास को गति देने के लिए बैंक नीतियों को सरल बनाने का सुझाव दिया है। आईए जानते हैं क्या कहना है संजीव सचदेव का…


संजीव सचदेव कहते हैं कि, एनसीआर क्षेत्र में आने वाले प्रदेश के जनपदों में औद्योगिक भूखंड आवंटन के लिए उपलब्ध नहीं हैं। ऐसे में उद्योग लगाने को प्रेरित उद्यमी बाजार मूल्य पर हस्तांतरण के माध्यम से भूखंड क्रय करता है। औद्योगिक भूखंड वर्तमान समय में काफी महंगे हो गए हैं, जिन्हें खरीदने के लिए एक उद्यमी को अपनी सारी जमा पूंजी खर्च करनी पड़ जाती है और उसके पास उद्योग स्थापित करने के लिए पूंजी नहीं बचती। हमारा अनुराेध है कि रिहायशी मकान, भूमि और कार इत्यादि खरीदने के लिए बैंक द्वारा वित्तपोषित किया जाता है, उसी प्रकार प्रदेश के औद्योगिक विकास को सुविधाजनक बनाने की दिशा में कदम उठाते हुए औद्योगिक भूमि के क्रय और उद्योग स्थापित करने के लिए बैंक सहायता करें। हमें पूरा विश्वास है कि ऐसा करने से प्रदेश के औद्योगिक विकास को काफी गति मिलेगी।



प्रदेश की निवेश नीति के अनुसार कृषि भूमि पर उद्योग लगाने के लिए कृषक भूमि घोषित करने की अनुमति उप-जिलाधिकारी कार्यालय से मिलती है। इसके लिए आवेदन की प्रक्रिया ऑनलाइन है। उद्यमी जब कृषि भूमि खरीदकर ऑनलाइन आवेदन करता है तो वह आवेदन विभिन्न कारणों जैसे-चकबंदी होने या न होने के कारण ऑनलाइन अपलोड नहीं हो पाता। संजीव सचदेव कहते हैं कि उद्यमी की परेशानी यहीं से बढ़नी शुरू हो जाती है। करोड़ों रुपये खर्च कर खरीदी गई भूमि के निवेश की योजना पर विपरीत असर पड़ता है। चकबंदी हुई या नहीं हुई, इन सब बातों से उद्यमी का कोई लेना देना नहीं है। हमारा अनुरोध है कि प्रदेश सरकार की नीति के अनुसार कृषि भूमि घोषित करने की प्रक्रिया को सरल बनाया जाए।



संजीव सचदेव का कहना है कि एक एमएसएमई यूनिट लगाने के लिए संबंधित सिविक एजेंसी से नक्शा पास कराकर निर्माण कराने के पश्चात जब किसी अन्य विभाग जैसे फायर या फैक्ट्री एक्ट आदि से एनओसी ली जाती है तो पता चलता है कि उस विभाग के नक्शा पास करने के नियम अलग हैं। नई यूनिट लगाने वाले उद्यमी के लिए यह बड़ी सिरदर्दी हो जाती है। उद्यमी के लिए बनी हुई बिल्डिंग में तोड़फोड़ कर बदलाव करना मुश्किल होता है। ऐसे में हमारी मांग है कि एमएसएमई मंत्रालय की ओर से उद्योगों को लिए एक एक गाइडलाइन जारी की जानी चाहिए। औद्योगिक भवनों की यह गाइडलाइन यूपीसीडा, फायर, नगर नगम, नगर पालिका और जिला पंचायतों को एक समान रूप से मान्य होनी चाहिए।



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