– यमुना विकास प्राधिकरण के सीईओ को एमएसएमई इंड्रस्ट्रियल एसोसिएशन ने लिखा पत्र
एनसीआर संवाद
नोएडा, 16 सितंबर। 70 के दशक में जब देश की राजधानी दिल्ली के नजदीक औद्योगिक शहर बसाने की कल्पना की गई तो दिल्ली के औद्योगिक क्षेत्र ओखला के विकल्प के रूप में नोएडा यानि नवीन ओखला औद्योगिक विकास प्राधिकरण अस्तित्व में आया, लेकिन गलत नीतियों के कारण देखते ही देखते इस औद्योगिक शहर की सूरत बिगड़ गई है। यमुना औद्योगिक विकास प्राधिकरण क्षेत्र में ऐसा न हो, इसके लिए ठोस योजनाएं बनाने की जरूरत है। एमएसएमई इंड्रस्ट्रियल एसोसिएशन ने नोएडा के बिगड़ते हालात से सबक लेकर योजनाएं बनाने का सुझाव यमुना एक्सप्रेस-वे औद्योगिक विकास प्राधिकरण को दिया है।
संस्था के जिलाध्यक्ष सुरेंद्र सिंह नाहटा ने यमुना एक्सप्रेस-वे औद्योगिक विकास प्राधिकरण के सीईओ अरुणवीर सिंह को पत्र लिखकर नोएडा की प्लानिंग में हुई गलतियों से अवगत कराया है। उन्होंने बताया कि देश और विदेश की कंपनियों को आकर्षित करने के लिए उत्तर प्रदेश सरकार नोएडा, ग्रेटर नोएडा और यमुना एक्सप्रेस-वे औद्योगिक विकास प्राधिकरणों को उत्तर प्रदेश की शो विंडो के रूप में पेश कर रही है। लेकिन इस क्षेत्र के प्रति आकर्षण बनाए रखना सरकार के लिए किसी चुनौती से कम नहीं है। औद्योगिक शहर नोएडा के बिगड़ रहे हालात से सबक लेते हुए यमुना क्षेत्र को औद्योगिक विकास के लिए तैयार किए जाने की जरूरत है। नोएडा में उद्योग चला रहे उद्यमी जिन समस्याओं का सामना कर रहे हैं, भविष्य में ऐसी समस्याएं यमुना क्षेत्र में उद्योगों के विकास में बाधा न बनें। इसके लिए संस्था की तरफ से कुछ सुझाव भी दिए गए हैं।
1. नोएडा में सबसे बड़ी समस्या स्लम क्षेत्र का बढना है, क्योंकि यहां की जिम्मेदार एजेंसियों ने औद्योगिक शहर के श्रमिकों के रहने के लिए कोई प्लानिंग नहीं की। अब यह समस्या नासूर बन गई है। स्लम का दाग यमुना क्षेत्र पर न लगे, इसके लिए श्रमिक आवास व श्रमिक कुंज जैसी सुविधाएं उपलब्ध करानी होंगी।
2. केंद्र सरकार की इंड्रस्ट्रियल स्मार्ट सिटी की तर्ज पर कर्मचारियों के लिए सुविधाएं विकसित की जाएं, जिनमें कर्मचारियों को परिवार के साथ रह सकें। अपने घर से कार्य स्थल तक पैदल ही आवाजाही कर सकें।
3. राज्य में ही नहीं बल्कि पूरे देश में कुशल श्रमिकों की कमी उद्योगों के विकास में बड़ी अड़चन बनी हुई है। इससे निपटने के लिए यमुना प्राधिकरण क्षेत्र में स्किल डेवलपमेंट यूनिवर्सिटी या सेंटर खोले जाने की जरूरत है, ताकि उद्योगों की जरूरत के लिहाज से युवाओं को तैयार किया जा सके।
4. नोएडा और ग्रेटर नोएडा के 13 तेरह लाख कामगार व श्रमिक और लगभग 40 लाख उनके आश्रित ईएसआईसी के तहत पंजीकृत हैं। ईएसआई की व्यवस्था काफी खराब हो चुकी है। यमुना क्षेत्र में श्रमिकों के लिए स्वास्थ्य से जुड़ी सुविधाएं उपलब्ध कराने के लिए अलग ईएसआईसी अस्पताल व सरकारी अस्पताल की स्थापना की जानी चाहिए।
5. नोएडा और ग्रेटर नोएडा के उद्योगों के सामने बिजली कटौती एक बड़ी समस्या बन जाती है। देश और विदेश की कंपनियां अगर यमुना क्षेत्र पर नजरें टिकाए हुए हैं तो इस बड़ी समस्या को चुनौती के रूप में लेना होगा। यमुना क्षेत्र के औद्योगिक विकास के लिए अलग बिजली उत्पादन सयंत्र लगाना होगाा।
6. औद्योगिक विकास के लिए शहरों की आपस में कनेक्टिविटी होना बेहद जरूरी है। यमुना क्षेत्र के विकास के लिए दिल्ली, फरीदाबाद, गुरुग्राम और गाजियाबाद से कनेक्टिविटी होना जरूरी है। कई योजनाएं हैं जो लंबे समय से अटकी हुई हैं इनपर तेजी से काम करना होगा।
7. उद्योगों के उत्पाद प्रदर्शित करने के लिए और उत्पादों की टेस्टिंग के लिए बैंगलूरू, भोपाल नहीं जाना पड़े और मशीनरी व अन्य टूल्स लेने के लिए दिल्ली जाना न पड़े। इसके लिए यमुना क्षेत्र में ही सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएं।
8. नोएडा में औद्योगिक भूखंडों का दुरुपयोग बढ़ रहा है। ऐसी स्थिति यमुना क्षेत्र में न हो, इसके लिए भूखंड आवंटन के दो साल के भीतर क्रियाशील प्रमाणपत्र की अनिवार्यता को सख्ती से लागू किया जाना चाहिए।
9. उद्योगों की जरूरत को पूरा करने के लिए कच्चे मॉल (रॉ मैटेरियल), मशीनों, मशीनों के पुर्जे आदि के लिए यमुना क्षेत्र के उद्यमियों को दिल्ली, लुधियाना, कोलकाता और सुदूर राज्यों के शहरों पर निर्भर न रहना पड़े, इसको ध्यान में रखते हुए यमुना क्षेत्र में ही कच्चे मॉल के बाजार बनाया जाए। औद्योगिक क्षेत्रों के नजदीक ट्रांसपोर्ट नगर बनाया जाना अति आवश्यक है ताकि गंतव्य तक या गंतव्य से माल मंगवाने व पहुंचाने में दिक्कत ना हो !
10. नोएडा के कई औद्योगिक सेक्टर झुग्गियों के कारण स्लम में तब्दील हो गए हैं। इस तरह की स्थिति यमुना क्षेत्र में उत्पन्न न हो इसके लिए प्राधिकरण को शुरू से ही ध्यान रखना होगा। अतिक्रमण माफिया को पनपने से रोकना होगा।