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एमएसएमई इंडस्ट्रियल एसोसिएशन ने जताई आपत्ति, बिजली निगम की मनमानी से उद्योगों को परेशानी
नोएडा 08 दिसंबर। आईटी उद्योग दोहरे नियमो को लेकर असमंजस की स्थिति में हैं। शासन और प्राधिकरण आईटी को इंडस्ट्री का दर्जा दे रहे हैं तो पावर कारपोरेशन इन कंपनियों से कमर्शियल बिजली दरें कैसे वसूल सकता है। एमएसएमई इंडस्ट्रियल एसोसिएशन ने यह सवाल उठाते हुए आईटी इंडस्ट्री को औद्योगिक दरों से बिजली आपूर्ति की मांग की है। इस संबंध में एसोसिएशन ने पश्चिमांचल विद्युत वितरण निगम (पीवीवीएनएल) के मुख्य अभियंता राजीव मोहन, प्रबंध निदेशक चित्रा वी, जिला अधिकारी मनीष वर्मा, विधायक पंकज सिंह और ऊर्जा मंत्री अरविंद कुमार शर्मा को पत्र लिखा है।
एमएसएमई इंडस्ट्रियल एसोसिएशन के जिलाध्यक्ष सुरेंद्र सिंह नाहटा ने बताया कि प्रदेश सरकार आईटी कंपनियों को उद्योग मानती है और नोएडा, ग्रेटर नोएडा व यमुना प्राधिकरण भी इस सेक्टर को उद्योग का दर्जा दे रहे हैं। बड़े अश्चर्य की बात है कि पश्चिमांचल विद्युत वितरण निगम आईटी सेक्टर को उद्योग नहीं मान रहा है। आईटी उद्योगों को नोटिस जारी कर भारी-भरकम जुर्माने का बोझ डाला जा रहा है। उद्योगों की श्रेणी में आने वाली आईटी कंपनियों पर वाणिज्यिक विद्युत दरों का आर्थिक बोझ डाला जा रहा है। विद्युद वितरण खंडों में औद्योगिक परिसरों का सर्वे कर टैरिफ परिवर्तन की कार्रवाई की जा रही है। साथ ही, आईटी उद्यमियों को लाखों रुपये के बिल भेजे जा रहे हैं।
एमएसएमई इंडस्ट्रियल एसोसिएशन के जिलाध्यक्ष सुरेंद्र सिंह नाहटा ने कहा कि, देश व प्रदेश की आर्थिक तरक्की में नोएडा के उद्योगों का योगदान बना रहे, इसके लिए उद्योगों को निर्बाध बिजली आपूर्ति की व्यवस्था की जानी चाहिए। औद्योगिक सेक्टरों में स्थित स्लम में बिजली चोरी से हो रहे लाइन लॉस को रोकने का पुख्ता इंतजाम होना चाहिए। बिजली ढांचे को सुधारकर नोएडा को सही मायने में नो पावर कट जोन बनाया जाना चाहिए। परंतु विद्युत वितरण निगम उद्यमियों का मनोबल बढ़ाने की जगह अनुचित कार्रवाई का दबाव बढ़ाकर आर्थिक बोझ डालने का काम कर रहा है। जब सरकार और प्राधिकरण आईटी कंपनियों को उद्योगों का दर्जा दे रहे हैं तो विद्युत निगम को औद्योगिक विद्युत दरों के हिसाब से ही टैरिफ निर्धारित करने चाहिए।