लीज होल्ड कानून गुलामी का प्रतीक, इसे बदलना होगा-आईआईए

इंडियन इंडस्ट्रीज एसोसिएशन ने औद्योगिक भूमि फ्री होल्ड करने की छेड़ी मुहिम

लीज होल्ड भूमि का नियम खत्म होने से ईज ऑफ डूइंग बिजनेस को मिलेगा बढ़ावा

एनसीआर संवाद
गाजियाबाद, 20 सितंबर। औद्योगिक संगठन इंडियन इंडस्ट्रीज एसोसिएशन (IIA ) ने औद्योगिक भूमि को फ्री होल्ड कराने के लिए मुहिम तेज कर दी है। संगठन का मानना है कि लीज होल्ड कानून गुलामी का प्रतीक है, इसे बदलना होगा। लीज होल्ड भूमि का नियम खत्म होने से ईज ऑफ डूइंग बिजनेस के साथ-साथ ईज ऑफ मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा मिलेगा। आईआईए ने वर्ष 2023 से अब तक इस मुहिम में कई महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं। प्रदेश के सभी सांसदों, विधायकों, जनप्रतिनिधियों, जिलाधिकारियों, उत्तर प्रदेश शासन के वरिष्ठ अधिकारियों सहित विभिन्न प्रशासनिक अधिकारियों से मिलकर ज्ञापन दिया गया है। ए 20 ज्वाइंट फोरम (A 20 Joint Forum) के माध्यम से देश के विभिन्न राज्यों के प्रमुख औद्योगिक संगठनों के साथ भी विचार-विमर्श कर इस मुद्दे को पूरे देश में उठाया जा रहा है। इस मुहिम के अंतर्गत औद्योगिक क्षेत्रों, सरकारी कार्यालयों एवं प्रमुख स्थानों पर 110 से अधिक जगहों पर होर्डिंग्स डिस्प्ले किए गए हैं।
आईआईए के राष्ट्रीय अध्यक्ष नीरज सिंघल ने 30 नवंबर 2023 को लखनऊ में आयोजित उद्यमी महासम्मेलन में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री से अपील की थी कि प्रदेश की लीज होल्ड भूमि को फ्री होल्ड में बदला जाए। नीरज सिंघल ने यह भी सुझाव दिया कि लीज होल्ड भूमि को सशर्त फ्री होल्ड में बदला जाए, जिसमें भूमि का उपयोग औद्योगिक ही रहे। इससे औद्योगिक क्षेत्र का स्वरूप यथावत रहेगा और नए उद्योग स्थापित करने की संभावना बढ़ेगी, जिससे सरकार का राजस्व भी बढ़ेगा और रोजगार के नए अवसर भी सृजित होंगे।
शुक्रवार को पत्रकार वार्ता को संबोधित करते हुए आईआईए गाजियाबाद चैप्टर के चेयरमैन संजय अग्रवाल ने कहा कि औद्योगिक भूमि को लीज होल्ड से फ्री होल्ड करने की मांग इसलिए उठाई जा रही है, क्योंकि लीज होल्ड भूमि पर यदि उद्यमी को अपने उद्योग में कोई नया उत्पाद बनाना है, बैंक लिमिट में बदलाव करना है, उम्र ढलने के बाद अपने खूनी रिश्ते में ही उद्योग को हस्तांतरण करना है, उद्योग की भूमि और भवन किराये पर देने हो अथवा भूमि का सेपरेशन करना है तो इन सभी कार्यो को करने के लिए यूपीसीडा अथवा उद्योग निदेशालय सहित तमाम महकमों की अनुमति लेना अनिवार्य होता है। इस कार्य को कराने के लिए उद्यमियों को इन सरकारी दफ्तरों के बार-बार चक्कर लगाने पड़ते हैं। औद्योगिक विकास एवं प्रदेश के सकल घरेलू उत्पाद में वृद्धि तब तक संभव नहीं है, जब तक प्रदेश में उद्योगों का विकास तीव्र गति से न हो | इस विकास में एक बाधक लीज पर दी गई भूमि है। प्रदेश की अर्थव्यवस्था को वन ट्रिलियन डॉलर के लक्ष्य तक पहुंचाने के लिए व्यापार को सुगम बनाना होगा। इसके लिए औद्योगिक जमीन का फ्री होल्ड होना जरूरी है।
आईआईए के डिवीजनल चेयरमैन राकेश अनेजा ने कहा कि लीज होल्ड भूमि का कानून ब्रिटिश शासन के दौरान लागू हुआ था। वर्तमान में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार ने ‘अमृतकाल’ में गुलामी के अंशों से मुक्ति पाने का संकल्प लिया है। अतः आज इस कानून को बदलने की नितांत आवश्यकता है। देश के कुछ राज्यों हरियाणा, दिल्ली, पश्चिम बंगाल और कर्नाटक, तमिलनाडु में औद्योगिक भूमि को फ्री होल्ड कर दिया गया है, जिससे वहां उद्योग चलाना आसान है। औद्योगिक भूमि जब लीज होल्ड पर सरकार द्वारा उद्यमी को दी जाती है तो उस समय की जमीन अधिग्रहण लागत, विकास शुल्क और प्रीमियम (Land Acquisition Cost, Development Charges & Premium) उद्यमी से लिया जाता है। जब सभी कॉस्ट उद्यमी द्वारा दी जा चुकी है और सरकार की मंशा के अनुसार उद्योग स्थापित कर चलाया रहा है तो उन्हें किरायेदारी से मालिकाना हक क्यों नहीं मिलाना चाहिए? उल्लेखनीय है कि उत्तर प्रदेश में औद्योगिक विकास विभाग द्वारा विभिन्न कंपनियों हेतु अधिग्रहित की गई भूमि को फ्री होल्ड किए जाने संबंधी नीति वर्ष 2016 में जारी कर दी गई है जो एक हेक्टेयर अथवा उससे अधिक क्षेत्रफल में कार्यरत इकाइयों के लिए लागू है, जिससे सूक्ष्म और लघु उद्योग इस सुविधा से वंचित हैं।
लीज होल्ड को फ्री होल्ड में बदलने से होंगे कई फायदे
• प्रशासनिक परेशानियां कम होने से उद्यमियों के समय की बचत होगी, औद्योगिक विकास तीव्र होगा।
• प्रदेश की जीडीपी और राजस्व में वृद्धि होगी, वन ट्रिलियन डॉलर अर्थव्यवस्था का लक्ष्य पूरा होगा।
• फ्री होल्ड भूमि पर नए औद्योगिक निवेश के अवसर पैदा होंगे, जो सरकार की भी प्राथमिकता है।
• नए रोजगार सृजित होंगे, जिससे स्थानीय लोगों को रोजगार की तलाश में बाहर नहीं जाना पड़ेगा।
• भूमि को फ्री होल्ड करने पर सरकार को मिले राजस्व से नए औद्योगिक क्षेत्र सृजित किए जा सकेंगे।
• प्रदेश की रैंकिंग “Ease of Doing Business” के साथ “Ease of Doing Manufacturing” में बढ़ेगी।

इस मौके पर आईआईए गाजियाबाद चैप्टर के सचिव हर्ष अग्रवाल, कोषाध्यक्ष संजय गर्ग, सीईसी सदस्य एसके शर्मा, एमएसएमई पॉलिसी एवं स्कीम समिति के चेयरमैन प्रदीप कुमार गुप्ता, यश जुनेजा, अमित बंसल, अजय पटेल, दिनेश गर्ग, कुलदीप अत्री, संजीव कपूर सहित कई उद्यमी मौजूद रहे।

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