फेलिक्स अस्पताल के डॉक्टर बोले, उम्रदराज ही नहीं युवा पीढ़ी में भी बढ़ रही उच्च रक्तचाप की बीमारी
– सलाह- 25 साल से ज्यादा उम्र तो रेगुलर कराएं अपने ब्लड प्रेशर की जांच
एनसीआर संवाद
अगर आप इस भ्रम में हैं कि उच्च रक्तचाप यानी हाइपरटेंशन केवल उम्रदराज लोगों को होता है तो आप गलत हो सकते हैं। युवा पीढ़ी भी तेजी से इस समस्या का शिकार हो रही है। बिगड़ती जीवनशैली, मानसिक और पर्यावरणीय कारणों और खानपान में बदलाव से यह समस्या बढ़ती जा रही है। डिप्रेशन के मरीजों में हाइपरटेंशन की संभावना ज्यादा होती है। खासकर, 30 से 50 वर्ष की आयु के बीच मरीजों में रक्तचाप अनियंत्रित होने की आशंका बढ़ जाती है। हाइपरटेंशन कई बीमारियों का कारण है, लेकिन भारत में अधिकांश मरीजों में इसके लक्षण नहीं दिखते। इसलिए तेजी से बढ़ रही इस बीमारी को साइलेंट किलर भी कहा जाता है। वर्ल्ड हाइपरटेंशन डे पर आइए जानते हैं क्या कहते हैं नोएडा के फेलिक्स अस्पताल के डॉक्टर :-
फेलिक्स अस्पताल के चेयरमैन डॉ. डीके गुप्ता कहते हैं कि हाइपरटेंशन यानी उच्च रक्तचाप के दौरान रक्त वाहिकाओं (ब्लड वेसेल्स) में ब्लड का फ्लो बढ़ जाता है। यह बीमारी अब हर उम्र के लोगों को प्रभावित करने लगी है। ज्यादातर लोगों को पता ही नहीं होता है कि वह हाइपरटेंशन की चपेट में हैं। रक्त वाहिकाओं में कभी-कभार ब्लड का फ्लो बढ़ना सामान्य हो सकता है, लेकिन यह स्थिति अगर लंबे समय तक बनी रहती है तो गंभीर समस्या उत्पन्न कर सकती है। हाइपरटेंशन बिना किसी स्पष्ट लक्षण के कई सालों तक विकसित हो सकता है जो स्ट्रोक और हार्ट अटैक जैसी जटिलताओं का कारण बन सकता है। यही वजह है कि इसे साइलेंट किलर कहा जाता है। इसलिए ब्लड प्रेशर पर कंट्रोल रखना बेहद जरूरी है।
डॉ. राहुल अरोड़ा कहते हैं कि सिर दर्द, लगातार चक्कर और बेचैनी के अलावा सांस लेने में दिक्कत या उल्टी जैसे लक्षण होने पर मरीज को अलर्ट हो जाना चाहिए। यह हाई ब्लड प्रेशर के लक्षण हो सकते हैं। लाखों लोग इसकी चपेट में हैं, लेकिन उन्हें पता ही नहीं लग पाता है। हार्ट अटैक का बड़ा कारण हाइपरटेंशन है। इसलिए लक्षण महसूस होने पर बिना किसी देरी के जांच कराएं। हाइपरटेंशन में रक्त वाहिनियों में रक्त का दबाव लगातार बढ़ा हुआ होता है। दबाव जितना अधिक होगा, हृदय को उतनी अधिक क्षमता से पंप करना पड़ेगा। हाइपरटेंशन का गंभीर स्तर शरीर के अंगों को प्रभावित कर सकता है। जीवनशैली में सुधार लाकर और जंक फूड से परहेज कर इस समस्या से काफी हद तक बचा सकता है।
डॉ. सिद्धार्थ सम्राट कहते हैं कि तनाव और मोबाइल हर आयु वर्ग के लोगों की सेहत पर भारी पड़ रहे हैं। खान-पान का तरीका भी बदल गया है। ऐसा नहीं कि केवल मोटापे से ग्रस्त लोगों को ही इसका खतरा होता है, बहुत से दुबले-पतले लोग भी इसकी जद में मिले हैं। बहुत से बच्चों में पुष्टि होने के बाद पता लगाया गया तो परिवार में ब्लड प्रेशर का कोई इतिहास नहीं मिला। हाइपरटेंशन की समस्या गर्भवतियों में भी तेजी से बढ़ रही हे। हाई ब्लड प्रेशर के शिकार लोग नियमित दवाओं पर चल रहे हैं जो चिंताजनक है। 25 साल तक उम्र वालों में भी यह दिक्कत देखने में आ रही हे। स्मोकिंग, शराब का सेवन, अधिक वजन, मानसिक और शारीरिक तनाव इसके कारण हो सकते हैं।
उच्च रक्तचाप के चरण
-प्री-हाइपरटेंशन इसमें ब्लड प्रेशर 120/80-139/89 के बीच होता है।
-माइल्ड हाइपरटेंशन ब्लड प्रेशर 140/90-159/99 की रेंज में होता है।
-मध्यम उच्च रक्तचाप रक्तचाप की सीमा 160/110-179/109 होती है।
-गंभीर उच्च रक्तचाप 180/110 या फिर उससे अधिक होता सकता है।
हाइपरटेंशन के लक्षण
● सिरदर्द ● सांस फूलना ● थकान या भ्रम ● छाती में दर्द ● पसीने आना ● घबराहट होना ● धुंधला नजर आना ● उल्टियां आना
हाइपरटेंशन का कारण
● अधिक तनाव और लंबे समय तक बेचैनी ● ठीक से नींद न लेना, धूम्रपान और शराब का सेवन ● मोटे लोगों में मधुमेह होने की संभावना ज्यादा होती है ● सफेद नमक, अधिक चटपटा, तैलीय खाना
● व्यायाम नहीं करना, देर से सोना, कम्प्यूटर पर देर तक टिके रहना
ऐसे कर सकते हैं बचाव
● धूम्रपान और शराब के सेवन से बचें। ● हरी-सब्जियों और फलों का सेवन करें। ● छह माह में एक बार बीपी जरूर चेक कराना चाहिए ● कम फैट वाले डेयरी उत्पाद डाइट में करें शामिल। ● रोजना करीब एक घंटे तक व्यायाम करें। ● रोजाना नमक की मात्रा 5 ग्राम से कम रखें। ● शरीर को सक्रिय रखें और वजन घटाएं। ● मॉर्निंग वॉक या रनिंग की आदत डालें। ● फैमिली के साथ अच्छा समय बिताएं।