बिना सर्जरी 30 मिनट में बंद कर दिया दिल का छेद

एनसीआर संवाद

नोएडा। हरियाणा के 23 वर्षीय सचिन की सांसों पर संकट मंडरा रहा था। उसे नोएडा के सेक्टर-137 स्थित फेलिक्स हॉस्पिटल लाया गया। डॉक्टरों ने जांच की तो पता चला कि मरीज को दिल में छेद होने के कारण सांस लेने में तकलीफ हो रही है। डॉक्टरों ने ओपन हार्ट सर्जरी के बिना ही दिल के छेद को बंद कर करने में सफलता पाई।  न्यूनतम इनवेसिव प्रक्रिया की मदद से महज 30 मिनट में अस्पताल के डॉक्टरों ने इस काम को अंजाम दिया।
फेलिक्स अस्पताल के कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. सिद्धार्थ सम्राट ने बताया कि मरीज को सांस लेने में तकलीफ की शिकायत के साथ भर्ती कराया गया था। जांच करने पर 10 मिमी. का एट्रियल सेप्टल डिफेक्ट (एएसडी) की पुष्टि हुई। यह एक जन्मजात हृदय की स्थिति है, जिसमें एट्रियल सेप्टल में छेद होता है। एएसडी के आकार और रोगी के लक्षणों को देखते हुए ओपन हार्ट सर्जरी की आवश्यकता के बिना छेद को बंद करने के लिए न्यूनतम इनवेसिव प्रक्रिया का अपनाने का निर्णय लिया गया। इसके लिए एट्रियल सेप्टल ऑक्लुडर की विधि को चुना। जिसमें एक पतली  लंबी तार का उपयोग किया गया। तार के माध्यम से ऑक्लुडर डिवाइस को सावधानीपूर्वक एएसडी के ऊपर स्थापित किया गया और छेद को प्रभावी ढंग से बंद किया गया। इस प्रक्रिया में 30 मिनट का समय लगा। एएसडी को सफलतापूर्वक बंद करने के बाद मरीज को राहत पहुंची। तबीयत स्थिर होने के बाद मरीजों को डिस्चार्ज कर दिया गया है।
एएसडी दीवार में एक जन्मजात हृदय दोष है जो हृदय के दो ऊपरी कक्षों (एट्रियल सेप्टम) को अलग करता है। इस दीवार को आलिंद पट कहते हैं। जन्म के समय दो अटरिया के बीच एक छोटा सा छिद्र मौजूद होता है, जो आमतौर पर बाद में बंद हो जाता है। छेद हृदय के बाईं ओर से दाईं ओर ऑक्सीजन युक्त रक्त के रिसाव का कारण बनता है, जिसका अर्थ है कि हृदय के दाईं ओर अतिरिक्त काम करने के कारण दाएं वेंट्रिकल से फेफड़ों में अतिरिक्त रक्त प्रवाह होता है। आमतौर पर हृदय का बायां भाग शरीर में ऑक्सीजन युक्त रक्त पंप करता है, जबकि दाहिना भाग ऑक्सीजन रहित रक्त को फेफड़ों में पंप करता है। ओस्टियम सेकुंडम एट्रियल सेप्टल डिफेक्ट (एएसडी) दोनों तरफ से रक्त के मिश्रण की अनुमति देता है, जिससे हृदय की कार्य क्षमता कम हो जाती है। एट्रियल सेप्टल डिफेक्ट (एएसडी) एक गंभीर बीमारी है। अगर शीघ्र निदान और उपचार किया जाए तो स्वस्थ और सक्रिय जीवन जीना कठिन हो जाता है। एक बड़ा छेद श्वसन संक्रमण, सांस की तकलीफ, अनियमित हृदय ताल, बेहोशी जैसी कई समस्याओं का कारण बन सकता है।

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