समस्या सुनने उद्यमियों के बीच पहुंचे प्रमुख सचिव, जानिए क्या बोले उद्यमी संगठन

एमएसएमई एवं निर्यात प्रोत्साह विभाग के प्रमुख सचिव आलोक सिंह उद्योग बंधुओं से हुए रूबर

एनसीआर संवाद 
गाजियाबाद। औद्योगिक विकास की अड़चनों को दूर करने के लिए प्रदेश सरकार हर संभव प्रयास कर रही है। इसी कड़ी में शनिवार को सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम एवं निर्यात प्रोत्साहन विभाग के प्रमुख सचिव आलोक कुमार गाजियाबाद में उद्यमियों से रूबरू होने के लिए पहुंचे। कलक्ट्रेट स्थित महात्मा गांधी सभागार में जिला अधिकारी इंद्र विक्रम सिंह और नगर आयुक्त विक्रमादित्य सिंह मलिक की मौजूदगी में उन्होंने उद्यमी संगठनों के प्रतिनिधियों से वार्ता की। इस मौके पर उत्तर प्रदेश उद्यमी विकास संघ, इंड्रस्ट्रियल एरिया मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन (आईएएमए), इंडियन इंडस्ट्रीज एसोसिएशन (आईआईए), साहिबाबाद इंड्रस्ट्रियल एरिया एसोसिएशन, लघु उद्योग भारती, गाजियाबाद इंडस्ट्रीज फेडरेशन, साहिबाबाद इंडस्ट्रीज एसोसिएशन, साहिबाबाद ट्रांस हिंडन एसोसिएशन, इंडस्टि्रयल एसोसिएशन ऑफ एमएसएमई आदि औद्योगिक संगठनों के प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया।

उद्यमी संगठनों ने उठाई समस्याएं

  •  रुग्ण औद्योगिक इकाइयों के पुर्नवासन के लिए वर्तमान में कोई नीति निर्गत नहीं है। ऐसे कई उद्योग हैं जो विलंब से भुगतान, अत्याधिक कर, किसी आकस्मिक दुर्घटना में जानमाल के नुकसान या निर्मित उत्पादों के नष्ट होने से पूरी तरह पटरी से उतर गए हैं। ऐसे बीमारू उद्योगों के पुर्नवास के लिए सरकार से नीति बनाने का अनुरोध लगातार किया जा रहा है। अत: रुग्ण औद्योगिक इकाइयों के पुर्नवासन के लिए नीति निर्धारित की जाए।( उपेंद्र गोयल, अध्यक्ष उत्तर प्रदेश उद्यमी विकास संघ)
  • औद्योगिक इकाइयों के भवन मानचित्र स्वीकृति के लिए यूपीसीडा, फायर, नगर निगम, विकास प्राधिकरण तथा फैक्ट्री एक्ट, विद्युत सुरक्षा आदि विभागों में आवेदन करना पड़ता है, जिसके लिए उद्यमियों को अलग-अलग विभागों से मानचित्र स्वीकृत कराने पड़ते हैं। इसमें विलंब होता है और परेशानी का सामना करना पड़ता है। ऐसे में एक कॉमन मानचित्र स्वीकृत करने की व्यवस्था होनी चाहिए, जिससे परेशानी कम हो सके। ( संजीव सचदेव, महासचिव, इंड्रस्ट्रियल एरिया मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन)
  •  भू-उपयोग संबंधी धारा-80 के अंतर्गत कृषक से अकृषक किए जाने के लिए ऑनलाईन प्रक्रिया में चकबन्दी इत्यादि के कारण आवश्यक प्रपत्र अपलोड नही हो पाते हैं, जिससे उक्त प्रक्रिया में अत्यधिक विलंब होता है। अतः उक्त प्रक्रिया को सरल किया जाए, जिससे उद्योग स्थापित करने में आसानी हो। उद्यमी समय से उत्पादन शरू कर रोजगार और सरकार को राजस्व देने का प्रयास कर सकें। ( संजीव सचदेव, महासचिव, इंड्रस्ट्रियल एरिया मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन)
  • यूपीसीडा के औद्योगिक भूखंडों को लीज होल्ड से फ्री होल्ड किया जाना चाहिए। इस संबंध में प्रदेशभर में उद्यमी संगठन लगातार मांग उठा रहे हैं। औद्योगिक भूखंड फ्री होल्ड होने से औद्योगिक विकास को अधिक बढावा मिल सकेगा। उद्यमियों की कई तरह की समस्याओं का समाधान हो जाएगा। सरकार को इस संबंध में जल्द से जल्द कोई निर्णय लेना चाहिए। ( उपेंद्र गोयल, अध्यक्ष उत्तर प्रदेश उद्यमी विकास संघ)
  • उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से जल एवं वायु की सहमति प्राप्त करने के लिए पुरानी औद्योगिक इकाइयों को उत्पादन की तिथि से वर्षवार प्रोसेसिंग शुल्क जमा करना पड़ता है, जो कभी-कभीअत्यधिक हो जाता है। इस कारण औद्योगिक इकाइयों को काफी कठिनाई होती है। अतः प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से सहमति प्रमाण पत्र करने के लिए ओटीएस योजना चलाई जाए। ( संजय अग्रवाल, चेयरमैन, इंडियन इंडस्ट्रीज एससोसिएशन गाजियाबाद)
  • गाजियाबाद के यूपीसीडा औद्योगिक क्षेत्र ट्रांस दिल्ली सिग्नेचर सिटी लोनी में औद्योगिक इकाइयों से मेंटिनेंस चार्ज लिया जाता है। इसके अतिरिक्त जिला पंचायत परिषद भी विभव कर एवं संपत्ति कर ले रहे हैं। जिससे उद्यमियों पर एक ही सर्विस के लिए दोहरे टैक्स का भार पड़ रहा है। अतः उक्त जिला पंचायत परिषद द्वारा वसूले जा रहे कर पर रोक लगाई जाए। ( संजय अग्रवाल, चेयरमैन, इंडियन इंडस्ट्रीज एससोसिएशन गाजियाबाद)
  • गाजियाबाद में यूपीसीडा द्वारा विकसित औद्योगिक क्षेत्र नगर निगम गाजियाबाद को हस्तांतरित है, जिनमें नगर निगम द्वारा वसूल की गई टैक्स धनराशि के 60 प्रतिशत से अवस्थापना संबंधित निर्माण/मरम्मत का कार्य कराया जाता है, जो कि औद्योगिक क्षेत्र की सड़कों एवं नाले, नालियों तथा अन्य सुविधाओं के लिए पर्याप्त नही होता है। अवस्थापना संबंधित सुविधाओं के सुदृढ़ किया जाए। ( संजय अग्रवाल, चेयरमैन, इंडियन इंडस्ट्रीज एससोसिएशन गाजियाबाद)
  • मोदीनगर और मुरादनगर के बुनकरों के फ्लेट रेट पर विद्युत आपूर्ति कराने की योजना चलाई गई थी। इस योजना का लाभ बुनकरों को सीधे दिया जा रहा था। भुगतान उप्र सरकार द्वारा विद्युत विभाग को किया जाना है। उक्त भुगतान सरकार द्वारा विद्युत विभाग को समय से न किए जाने के कारण बकाया बना रहता है, जिस पर ब्याज भी लगाया जाता है। बुनकरों पर आर्थिक बोझ पड़ता है। ( अमरीश गोयल, जिला अध्यक्ष, लघु उद्योग भारती गाजियाबाद)
  •  प्रदेश सरकार द्वारा हाल ही गैस आधारित जनरटेर लगाने के कनवर्जन पर केवल माइक्रो एवं स्माल श्रेणी की औद्योगिक इकाइयों को 50 प्रतिशत अथवा 20 लाख तक अधिकतम अनुदान राशि प्रदान की कराए जाने की योजना चलाई गई है, जिसके अंतर्गत मध्यम श्रेणी की औद्योगिक इकाइयों को छोड़ दिया गया है, जबकि जनपद मध्यम श्रेणी की इकाइयों की संख्या लगभग 500 है। ( अरूण शर्मा, अध्यक्ष, गाजियाबाद इंडस्ट्रीज फेडरेशन, गाजियाबाद)
  • जनपद गाजियाबाद को ओडीओपी योजना के अंतर्गत इंजीनियरिंग उत्पाद के लिए पहचान दी गई है। जनपद में गारमेंट एवं टैक्सटाइल उत्पाद की भी बड़ी संख्या में इकाइयां हैं। उक्त के साथ-साथ जनपद में अधिक संख्या में कारीगर उपलब्ध हैं। ऐसे व्यक्तियों / उद्यमियों को एक विशेष श्रेणी के अंतर्गत लाभ पहुंचाने हेतु गारमेंट व टैक्सटाइल उद्योगों को भी ओडीओपी में शामिल किया जाए। ( मुकेश गुप्ता, महासचिव, साहिबाबाद इंड्रस्ट्रियल एरिया एसोसिएशन)
  • .वर्ष 2004 के बाद स्थापित औद्योगिक इकाइयों को वित्तीय वर्ष 2022 तक विद्युत कर 7.5 प्रतिशत में नियमानुसार (10 वर्ष तक के लिए) छूट का प्रावधान था, किंतु एमएसएमई पॉलिसी-2022 के अंतर्ग छूट का प्रावधान नहीं है। अतः एमएसएमई इकाइयों को विद्युत कर में छूट प्रदान की जाए। ( मुकेश गुप्ता, महासचिव, साहिबाबाद इंड्रस्ट्रियल एरिया एसोसिएशन)
  • नगर निगम गाजियाबाद द्वारा हाऊस टैक्स एवं यूजर चार्जेज अत्यधिक किए जाने से औद्योगिक इकाइयों पर आर्थिक बोझ पड़ेगा। आर्थिक बोझ को कम किये जाने के लिए टैक्स की दरों को कम किया जाना चाहिए, ताकि उद्योग चलाने में आसानी हो। ( अशोक चौधरी, अध्यक्ष, साहिबाबाद ट्रांस हिंडन एसोसिएशन साइट-4 )
  • .ट्रांस दिल्ली सिग्नेचर सिटी लोनी औद्योगिक क्षेत्र के पास यूपीसीडा ने 25 वर्ष पूर्व किसानों से नया औद्योगिक क्षेत्र विकसित करने के लिए 1250 एकड़ भूमि अधिग्रहित कीथी, किन्तु यूपीसीडा द्वारा वर्तमान तक उक्त औद्योगिक क्षेत्र विकसित नही किया गया है। अतः उक्त क्षेत्र को शीघ्र विकसित कर नए भूखंड आवंटित किए जाएं। ( अरूण गुप्ता, अध्यक्ष, इंडस्ट्रीज एसोसिएशन ऑफ एमएसएमई, ट्रांस दिल्ली सिग्नेचर सिटी )

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