एमएसएमई की मांग… जिले में बने औद्योगिक सुरक्षा सेल

  • एमएसएमई इंडस्ट्रियल एसोसिएशन ने पुलिस आयुक्त को पत्र लिखकर उठाई मांग

एनसीआर संवाद

नोएडा, 13 दिसंबर। सरकार प्रदेश में उद्योगों को सुरक्षित माहौल देने का प्रयास कर रही है, लेकिन नोएडा के उद्यमियों को अपनी समस्याओं के समाधान के लिए थानों-चौकियों के चक्कर लगाने पड़ते हैं। कमिश्नरी प्रणाली के अंतर्गत यातायात, कानून-व्यवस्था, महिला सुरक्षा आदि की कमान आईपीएस स्तर के अधिकारियों को सौंपी गई है। ऐसे में जनपद के 25 हजार से अधिक उद्योगों के लिए अलग औद्योगिक सुरक्षा सेल स्थापित करना भी बेहद जरूरी हो गया है। एमएसएमई इंडस्ट्रियल एसोसिएशन ने पुलिस आयुक्त लक्ष्मी सिंह को पत्र लिखकर यह मांग उठाई है। 
एमएसएमई इंडस्ट्रियल एसोसिएशन के जिलाध्यक्ष सुरेंद्र सिंह नाहटा ने बताया कि जनपद गौतमबुद्धनगर में पुलिस कमिश्नरी प्रणाली लागू हुए चार साल पूरे होने जा रहे हैं। कमिश्नरी प्रणाली के बाद कानून व्यवस्था में निश्चित तौर पर कई बड़े बदलाव हुए हैं। अपराध नियंत्रण में कमिश्नरी को सफलता मिली है, लेकिन औद्योगिक सुरक्षा को लेकर कुछ कदम उठाने की जरूरत है। बता दें कि, वर्ष 2013 में नोएडा के फेज-दो में श्रमिकों के बवाल के दौरान करीब 1200 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ था। इस घटना के बाद उद्योगों की सुरक्षा के लिए सेक्टर-20 में क्षेत्राधिकारी उद्योग (सीओ इंडस्ट्री) का पद सृजित कर अलग कार्यालय बनाया गया था, जिसे अब बंद कर दिया गया है। जनपद स्तर पर अलग औद्योगिक सुरक्षा सेल का गठन किया जाए ताकि उद्यमियों को अपनी समस्याओं के समधान के लिए थाने चौकियों के चक्कर न काटने पड़ें। उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से औद्योगिक विकास के लिए निवेश को बढ़ावा देने के लिए किए जा रहे प्रयासाें के लिए भी यह अत्यंत आवश्यक है।  
इसके अलावा व्यापारी-उद्यमी सुरक्षा बैठक प्रत्येक माह आयोजित किए जाने का प्रावधान था लेकिन काफी समय से ऐसा कोई प्रयास पुलिस विभाग की तरफ से नहीं किया गया है। संस्था दोबारा से नियमित रूप से प्रत्येक माह व्यापारी-उद्यमी सुरक्षा बैठक आयोजित करने की मांग की है। नाहटा का कहना है कि, थानों में उद्यमी हेल्प डेस्क स्थापित किया जाना अति आवश्यक है। औद्योगिक सेक्टरों में अतिक्रमण का मकड़जाल लगातार फैल रहा है। अतिक्रमण और अवैध पार्किंग के कारण सेक्टरों में हमेशा जाम की स्थिति बनी रहती है। इसकी वजह से आवाजाही काफी प्रभावित होती है। दिल्ली से सटे औद्योगिक सेक्टरों में अपराधी सक्रिय रहते हैं। ऐसे में अवैध कब्जों व अवैध पार्किंग की आड़ में पनप रहे अपराधियों पर अंकुश लगाया जाए।

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