विशेष कॉलम में “एक देश, एक चुनाव” पर मशहूर उद्योगपति एसएस बांगा से बातचीत
NCR संवाद
भारत में ‘एक देश, एक चुनाव’ (One Nation-One Election) पर फिर से चर्चा शुरू हो गई है। संसद के मौजूदा शीतकालीन सत्र में इस बिल को लाने की तैयारी है, जो लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के चुनावों को एक साथ आयोजित करने पर केंद्रित है। राजनीतिक और सामाजिक दृष्टिकोण से इसकी विवेचना हो रही है, लेकिन उद्योग जगत भी इस पर अपनी प्रतिक्रिया दे रहा है। इसी विषय पर NCR संवाद ने मशहूर उद्योगपति (CMD, Victora Industries) एसएस बांगा (SS BANGA) से बातचीत की। पेश है विशेष कॉलम में उनसे बातचीत के अंश…
महत्वपूर्ण और दूरदर्शी कदम : एसएस बांगा कहते हैं कि “यह एक महत्वपूर्ण और दूरदर्शी कदम है। बार-बार चुनाव कराने से देश को आर्थिक और प्रशासनिक रूप से बड़ा नुकसान होता है। अगर चुनाव एक साथ हों, तो सरकार का ध्यान नीतियों को लागू करने पर अधिक रहेगा, न कि हर समय चुनावी राजनीति पर।”
ब्यूरोक्रेसी की डिसीजन मेकिंग होगी आसान : एसएस बांगा कहते हैं कि “एक साथ चुनाव होने से सरकारें और राजनीतिक दल एक बार अपने एजेंडे को स्पष्ट रूप से जनता के सामने रखेंगे। ब्यूरोक्रेसी को बार-बार चुनावों से मुक्त करके नीति निर्माण और कार्यान्वयन पर अधिक ध्यान केंद्रित करने का अवसर मिलेगा। तय एजेंडे से देश के विकास में तेजी आ सकती है, जैसा कि कई विकसित देशों में देखा जाता है। तय एजेंडा और नीतियों को लागू करने के लिए प्रशासन को स्पष्ट दिशा-निर्देश मिलेंगे, जिससे नीतियां समय पर लागू हो सकेंगी।“
बार-बार चुनावों से लेबर माइग्रेशन की समस्या: चुनावों के समय कई बार श्रमिकों को अपने मूल निवास स्थान पर लौटना पड़ता है, जिससे वे अस्थायी रूप से कार्यस्थल छोड़ देते हैं। इससे उद्योगों और फैक्ट्रियों में काम रुक जाता है। जब अलग-अलग समय पर चुनाव होते हैं, तो विभिन्न राज्यों और क्षेत्रों में छुट्टियों की संख्या बढ़ जाती है। यदि पूरे देश में एक साथ चुनाव होते हैं, तो श्रमिकों को केवल एक बार मतदान के लिए छुट्टी दी जाएगी। इससे कार्यक्षेत्र में नियमितता बनी रहेगी और उत्पादकता प्रभावित नहीं होगी।“
आर्थिक दृष्टि से फायदेमंद : बांगा कहते हैं कि ” बार-बार चुनाव कराने में भारी धनराशि खर्च होती है। इसका असर उद्योग और बाजार पर भी पड़ता है, क्योंकि हर चुनाव में आदर्श आचार संहिता लागू होती है, जिससे विकास कार्य और परियोजनाएं रुक जाती हैं। ‘एक देश, एक चुनाव’ से इन समस्याओं का समाधान हो सकता है और आर्थिक स्थिरता भी बढ़ेगी।”
सही तरीके से लागू करने की जरूरत : “मैं समझता हूं कि यह एक जटिल मुद्दा है। यह पहल तभी सफल हो सकती है जब इसे सही तरीके से लागू किया जाए। सभी राज्यों और पार्टियों को शामिल करते हुए एक व्यापक सहमति बनानी होगी। साथ ही, यह सुनिश्चित करना होगा कि जनता के अधिकार और स्थानीय लोकतंत्र की ताकत कमजोर न हो।”
लॉजिस्टिक्स और प्रोडक्शन पर प्रभाव: बांगा कहते हैं कि “चुनावों के दौरान कई क्षेत्रों में लॉजिस्टिक्स, परिवहन और उत्पादन पर प्रतिबंध लगते हैं। यह उद्योगों की आपूर्ति श्रृंखला को बाधित करता है। “एक साथ चुनावों से कम से कम रुकावट होगी, जिससे लॉजिस्टिक्स संचालन बेहतर होंगे। नीतियों को लागू करने में तेजी आएगी।”
उद्योग जगत को काफी उम्मीदें : एसएस बांगा का कहना है कि “हम उम्मीद करते हैं कि एक देश एक चुनाव से स्थिर राजनीतिक माहौल बनेगा। जब सरकारें अपने पूरे कार्यकाल में बिना बाधा के काम करेंगी, तो नीतियों को लागू करने में गति आएगी। इससे निवेशकों का भरोसा भी बढ़ेगा। यह भारतीय उद्योग और अर्थव्यवस्था के लिए एक नई दिशा तय कर सकता है।”
एसएस बांगा का मानना है कि यदि इस योजना को सही तरीके से लागू किया जाए, तो यह न केवल उद्योग जगत बल्कि देश की अर्थव्यवस्था के लिए भी एक बड़ा सकारात्मक कदम साबित हो सकता है। उच्च स्तरीय समित की रिपोर्ट में भी उल्लेख है कि एक साथ चुनाव होने से देश की जीडीपी ग्रोथ अगले 1.5 प्रतिशत तक बढ़ जाएगी। बार-बार चुनाव से अनिश्चितता का माहौल खत्म होगा तो निवेश में भी 0.5 प्रतिशत तक बढ़ोतरी का अनुमान है। साथ ही, एक साथ चुनाव होने से महंगा दर में 1.1 प्रतिशत तक की गिरावट का अनुमान लगाया जा रहा है। कुल मिलाकर अर्थव्यवस्था से जुड़े सुधारों को आगे बढ़ाने में मदद मिलेगी।
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