समय पर सही उपचार से संभव है कैंसर से लड़ाई : डॉ. नीता राधाकृष्णन

डब्ल्यूएचओ के अनुसार हर साल 4 लाख बच्चे और किशोर होते हैं कैंसर से पीड़ित

एनसीआर संवाद
कैंसर एक भयावह बीमारी है, खासकर जब यह जीवन की शुरुआत में होती है। बाल्यवस्था कैंसर (Childhood cancer) शिशुओं से 14 वर्ष की आयु तक और किशोरों में (15 से 19 वर्ष की आयु तक) होने वाला कैंसर है। बाल्यवस्था कैंसर असामान्य है, लेकिन इसका इलाज किया जा सकता है। समय पर सही उपचार के साथ, बच्चों में कैंसर का इलाज संभव है। बाल्यवस्था कैंसर (Childhood cancer) के बारे में जानकारी देते हुए नोएडा के पोस्ट ग्रेजुएट इंस्टीट्यूट ऑफ चाइल्ड हेल्थ (Post Graduate Institute of Child Health) के पीडियाट्रिक हेमेटोलॉजी ऑन्कोलॉजी विभाग की एचओडी डॉ. नीता राधाकृष्णन बताती हैं कि विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार हर साल अनुमानित 4 लाख बच्चे और किशोर कैंसर से पीड़ित होते हैं। उच्च आय वाले देशों में कैंसर पीड़ित 80 प्रतिशत बच्चे ठीक हो जाते हैं। वहीं, निम्न और मध्यम आय वाले देशों में यह आंकड़ा 30 प्रतिशत से कम है।
बचपन में होने वाले कैंसर के प्रकार
डॉ. नीता राधाकृष्णन बताती हैं कि एक्यूट लिम्फोसाइटिक ल्यूकेमिया (ALL) रक्त और अस्थि मज्जा का कैंसर है। यह श्वेत रक्त कोशिकाओं को प्रभावित करता है, जिनकी आपके शरीर को संक्रमण से लड़ने के लिए आवश्यकता होती है। यह बच्चों में होने वाला सबसे आम प्रकार का कैंसर है। दूसरा मस्तिष्क कैंसर है, जो बच्चे में असामान्य मस्तिष्क कोशिकाओं की वृद्धि है। एक मस्तिष्क कोशिका तब असामान्य हो जाती है जब उसमें आनुवंशिक परिवर्तन होते हैं। शुरुआती चरण में ही इसका निदान शुरू हो जाए तो ब्रेन कैंसर का इलाज संभव है। इसी तरह लिंफोमा भी एक प्रकार का कैंसर है जो बच्चों के लसीका तंत्र में शुरू होता है। यह आमतौर पर 5 से 19 वर्ष की आयु के बच्चों को प्रभावित करता है।
इलाज अधूरा छोड़ना बनता है घातक
डॉ. नीता राधाकृष्णन बताती हैं कि साल दर साल कैंसर पीडि़त बाल रोगियों की संख्या बढ़ रही है, लेकिन बीमारी को रोकने के लिए जागरुकता का अभाव बरकरार है। ऐसे कई मामले सामने आए हैं जब बच्चों का इलाज बीच में ही छोड़कर परिजन दोबारा अस्पताल का रुख नहीं करते । इसकी कई वजह सामने आती हैं। मसलन, आर्थिक तंगी, परिवार का समर्थन न मिलना और बीमारी के प्रति जानकारी का अभाव। जबकि, आयुष्मान भारत, मुख्यमंत्री राहत कोष और असाध्य रोग निधि जैसी सरकारी योजनाओं की उपलब्धता के साथ, समाज के सभी वर्गों के रोगियों को गुणवत्तापूर्ण उपचार की सुविधा उपलब्ध है।

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