कागज के दाम बढ़ने से डगमगाए 3000 उद्योग, जानिए क्या बोले उद्यमी…

 पेपर मिलों ने तीन महीने में 30 फीसदी बढ़ाए कागज के दाम, नुकसान करोड़ों रुपये

 यूपीसीबीएमए ने ग्रेटर नोएडा में बुलाई आपात बैठक, मिलों का बहिष्कार करने का फैसला

एनसीआर संवाद

ग्रेटर नोएडा, 28 सितंबर। पिछले तीन महीने में कागज की कीमत 30 प्रतिशत तक बढ़ने से उत्तर प्रदेश के लगभग 3000 कोरोगेटेड बॉक्स (गत्ते के डिब्बे) बनाने वाले उद्योग प्रभावित हैं। इससे प्रदेशभर में उद्योगों को करोड़ों रुपये के नुकसान का अनुमान उत्तर प्रदेश कोरोगेटेड बॉक्स मैन्युफेक्चरर्स एसोसिएशन (यूपीसीबीएमए) ने लगाया है। एसोसिएशन ने ग्रेटर नोएडा में आपात बैठक बुलाकर उत्तर भारत के मिल संचालकों से कच्चा माल न खरीदने का ऐलान किया है। यूपीसीबीएमए के प्रदेश अध्यक्ष एसके चौहान ने कहा कि जब तक कच्चे माल की वैकल्पिक व्यवस्था नहीं हो जाएगी, उद्यमी अपने कारखानों को बंद रखेंगे लेकिन मनमानी पर उतारू मिल संचालकों से कच्चा माल नहीं खरीदेंगे।
यूपीसीबीएमए के प्रदेश अध्यक्ष एसके चौहान ने बताया कि पेपर मिल संचालकों की गुटबंदी का असर पूरे प्रदेश के उद्योगों पर पड़ रहा है। मिल संचालक पीक सीजन के दौरान दाम बढ़ाने के लिए कागज का की कमी दिखाते हैं और कई-कई दिनों के लिए मिल बंद कर देते हैं। पिछले तीन महीनों से यह सिलसिला चल रहा है और हर महीने दो से ढाई रुपये प्रति किलोग्राम कागज का दाम बढ़ाया जा रहा है। लगातार बढ़ाए जा रहे कागज के दाम से उद्योग चला पाना मुश्किल हो रहा है। मिल संचालकों से परेशान उद्यमियों आपात बैठक के दौरान सर्वसम्मति से फैसला लिया है कि मुजफ्फरनगर, काशीपुर, सहारनपुर, पंजाब और हरियाणा की मिलों से कच्चा माल नहीं मंगाया जाएगा। गुजरात, महाराष्ट्र के नागपुर और मध्यप्रदेश के मिल संचालकों से बातचीत चल रही है। इन राज्यों से कागज मंगाने का परिवहन शुल्क जोड़ने के बाद भी पहले के मुकाबले दरें सस्ती होंगी। फिलहाल जो पुराना स्टॉक है, उससे काम चलाया जाएगा। स्टॉक खत्म होने पर नई व्यवस्था होने तक काम बंद रखा जाएगा।
कोरोगेटेड बॉक्स मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन की फेडरेशन के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष राजेंद्र भाटी ने कहा कि त्योहारों के सीजन से पहले कोरोगेटेड बॉक्स उद्योगों की हड़ताल का बाजार और अर्थव्यवस्था पर बुरा असर पड़ सकता है, क्योंकि बाजार में कोई भी उत्पाद बिना बॉक्स के नहीं बिकता। मिल संचालकों की गुटबंदी के कारण एक बार फिर संगठन भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (सीसीआई) का दरवाजा खटखटाएगा। कोरोगेटेड बॉक्स इंडस्ट्री पूरी तरह से कागज पर निर्भर है। पिछले पांच साल से क्राफ्ट पेपर मिल संचालक गुटबंदी करते हुए कभी भी उत्पादन बंद कर देते हैं और ऑर्डर की बुकिंग बंद कर दी जाती है।
यूपीसीबीएमए के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष सुशील सूद ने बताया कि गौतमबुद्धनगर और गाजियाबाद जनपद कोरोगेटेड बॉक्स और प्रिंटिंग उद्योगों का हब है। गौतमबुद्धनगर में ही 4.5 लाख टन कागज की खपत हर महीने होती है। इसी तरह गाजियाबाद में दो से ढाई लाख टन कागज की खपत होती है। पेपर मिल पिछले तीन-चार महीने से लगातार कागज के दाम बढ़ा रही है। जिससे कोरोगेटेड बॉक्स उद्योगों को भारी नुकसान का सामना करना पड़ रहा है। कागज महंगा होने का असर प्रिंटिंग उद्योग पर भी पड़ रहा है।
यूपीसीबीएमए के प्रदेश महासचिव आरजे सिंह ने कहा कि लगातार बढ़ाए जा रहे कागज के दाम से उद्योग चला पाना मुश्किल हो रहा है। कोरोगेटेड बॉक्स इंडस्ट्री पूरी तरह से कागज पर निर्भर है। पिछले पांच साल से क्राफ्ट पेपर मिल संचालक गुटबंदी करते हुए कभी भी उत्पादन बंद कर देते हैं और ऑर्डर की बुकिंग बंद कर दी जाती है। चार महीने में कागज के दाम 30 प्रतिशत तक बढ़े हैं, जबकि कोरोगेटेड बॉक्स इकाइयों से तैयार उत्पाद खरीदने वाले रेट नहीं बढ़ा रहे हैं। लगातार कागज की कीमत बढ़ती रहेगी तो उद्योग चला पाना संभव नहीं है।
इस मौके पर केपी सिंह, हितेश सिंह, रविश दीक्षित, प्रवीन गुप्ता, अमित शर्मा, मनोज जैन, सचिन गुप्ता, रचित गर्ग सहित बड़ी संख्या में उद्यमी मौजूद रहे।

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